धान (चावल) की खेती को भारत की प्रमुख फसलों मे से एक फसल माना जाता है। धान की खेती भारत मे मुख्य तौर पर उत्तरीय राज्यों के साथ उत्तर प्रदेश, हरियाणा , पंजाब और मध्य प्रदेश के कुछ छेत्रों मे की जाती है।
यहाँ आज हम आप सभी को धान की खेती के बारे मे सम्पूर्ण जानकारी देने वाले हैं जैसे की धान की खेती किस प्रकार की जाती है , साथ ही किन बातों का मुख्य रूप से रखें ध्यान।
1. मिट्टी और जलवायु किस प्रकार की होनी चाहिए
- मिट्टी: धान की खेती करने के लिए अधिकतर रेतीली-चिकनी मिट्टी, जलोढ़ मिट्टी और बलुई-चिकनी मिट्टी को सबसे बेहतर माना जाता है। धान की खेती करने के लिए खेत की मिट्टी की अच्छी जल धारण क्षमता होनी चाहिए।
- जलवायु: यदि अब बात की जाए जलवायु की तो धान की खेती गर्म और आर्द्र जलवायु में होती है। कृषि वैज्ञानिक और अनुभवी किसानों का कहना है की सामान्यत: 25-35 डिग्री सेल्सियस तापमान की जगहों पर धान की पैदावार काफी अच्छी होती है।
2. बीज का चयन कैसे करें?
- बीज की गुणवत्ता अवश्य पहचाने: आज कल धान के बीज कई तरह के होते हैं कुछ लोग नकली बीज भी किसानों को झांसा देकर बेच देते हैं, जिनकी उर्वरक छमता बहुत कम होती है। इसलिए बीज का चयन करते समय पहले बीज की गुणनवत्ता का परीक्षण अवश्य करें। स्वस्थ और उच्च गुणवत्ता वाले बीज का ही चयन करें। बीज को बोने से पहले बीज को उपचारित करना भी काफी जरूरी होता है।
- बीज का प्रकार: धान की खेती करने के लिए धान के बीज की विभिन्न प्रकार की किस्में उपलब्ध हैं, जिनकी जानकारी नीचे डी गई है। जैसे कि बासमती, सुभा, IRRI, आदि। आपकी स्थानीय जलवायु और मिट्टी के अनुसार किस्म का चयन करें।
3. आखिर किस मिट्टी मे किस धान के बीज का करें चयन
1. रेतीली-चिकनी मिट्टी के लिए :-
- बासमती 370: यह धान की किस्म बासमती चावल की किस्म है जो रेतीली-चिकनी मिट्टी में इस किस्म की पैदावार काफी अच्छी तरह होती है। बासमती 370 की सुगंध और लंबे चावल के दाने होना इस किस्म इस किस्म की विशेषता मानी जाती है।
- बासमती 385: बासमती 385 किस्म उच्च गुणवत्ता का चावल, जो अच्छा स्वाद और सुगंध दोनों के लिए प्रसिद्ध माना जाता है। यह किस्म भी रेतीली-चिकनी मिट्टी में काफी अच्छा होता है।
2. जलवोढ़ (लवणीय) मिट्टी के लिए धान की किस्म :-
- Swarna (SW) 3028 (स्वर्ण – 3028): माना जाता है की (स्वर्ण 3028) धान की किस्म को जलवोढ़ मिट्टी के लिए अच्छा माना जाता है इस किस्म की पैदावार जलोढ़ मिट्टी मे काफी अच्छी होती है। और उत्पादन भी काफी अच्छा होता है।
- IRRI 6 (आई.आर.आर.आई.-6): सफल किसानों द्वारा माना जाता है की आई.आर.आर.आई.-6 (IRRI_6) यह किस्म भी जलवोढ़ मिट्टी के लिए उपयुक्त है और प्रतिकूल परिस्थितियों में यह किस्म काफी बेहतर परिणाम देती है।
3.बलुई-चिकनी मिट्टी के लिए धान की सबसे अच्छी किस्म :-
- IRRI 104: यह एक ऐसी धान की किस्म है जो बलुई-चिकनी मिट्टी में उगने वाली सबसे अच्छी किस्म है, जो उच्च उपज और अच्छा रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करती है, इस धान की किस्म मे रोगों का असर कम रहता है।
- Jaya (जाया): यह किस्म को भी बलुई-चिकनी मिट्टी में कृषि वैज्ञानिकों द्वारा बेहतर बताया गया है। इस किस्म का उत्पादन बलुई-चिकनी मिट्टी में काफी बेहतर बताया गया है।
4. लोम मिट्टी के लिए :-
- Pusa Basmati 1121: (पूसा बासमती- 1121) यह किस्म लोम मिट्टी में अच्छी तरह उगती और पकती है और उच्च गुणवत्ता के चावल का उत्पादन करती है।
- Pusa 44: (पूसा-44) इस किस्म का उत्पादन लोम मिट्टी में भी अच्छा होता है और यह मध्यम अवधि की किस्म है, जो की पकने मे जायद समय नहीं लेती है।
5. कठिन परिस्थितियों के लिए धान की किस्में :-
- MTU 1010: यह किस्म विभिन्न प्रकार की मिट्टी और जलवायु में अच्छी तरह उगती है। जो की हर प्रकार की मिट्टी और जलवायु मे भी अच्छी पैदावार प्रदान करती है। माना जाता है की जहां पानी का भराव जायदा या फिर कम रहता है , वहाँ इन किस्मों को काफी अच्छा माना गया है। यह किस्म परिस्थति अनुकूल अपने आप को ढाल लेती हैं।
- Swarna Sub1: (स्वर्ण सव 1) यह किस्म भी कठिन परिस्थितियों और विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उत्तम मानी जाती है। धान की खेती के लिए यह किस्म भी बेहतर है।
4. बीज का चयन करते समय इन बातों का भी रखें विशेष ध्यान
- मिट्टी की जांच: धान की खेती करने के लिए अपने खेत की मिट्टी की जांच अवश्य कराएं जिससे बीज का चयन करने मे आसानी रहे ओर उत्पादन अधिक हो सके।
- जलवायु: बीज की किस्म का चयन करते समय स्थानीय जलवायु की परिस्थितियों को भी ध्यान में रखें की हमारे खेत के इर्द गिर्द किस प्रकार की जलवायु है।
- स्थानीय कृषि वैज्ञानिक: स्थानीय कृषि अधिकारी या कृषि विज्ञान केंद्र से सलाह अवश्य लें, जो आपकी विशेष परिस्थितियों के अनुसार सही किस्म की सिफारिश कर सकते हैं। और विपरीत परिस्थति मे आपको सही सलाह भी प्रदान करेंगे। इसके लिए आप अपने आस पास के सफल किसानों से भी सलाह ले सकते हैं, जिन्होंने पूर्व मे धान की खेती का उत्पादन अच्छा निकाला हो।
5. आखिर कैसे करें खेत को तैयार , जाने यहाँ?
जुताई कैसे करनी चाहिए : खेत को अच्छे से जुताई करें। इसे पहले दो बार पंजा या सत्ता से अच्छी तरह जुताई कर लें, फिर इसे बारीक करने के लिए रोडरवेटर का इस्तमाल करें, या फिर अपने जुताई करने वाले यंत्र के पीछे बड़ी लकड़ी बांधकर भी खेत को समतल कर सकते हैं।
नालियां और ढलान: पानी की निकासी के लिए खेत में उचित नालियों की व्यवस्था अवश्य करें।
6 . खाद और उर्वरक का इस्तमाल कैसे करें
खाद: खेत में खेत की तैयारी के दौरान अच्छी मात्रा में गोबर का खाद ही सर्वोत्तम माना जाता है जितना हो सके उतना गोवर के खाद का छिड़काव करें ऐसा करने से धान की फसल के अलावा भी प्रत्येक फसल के उत्पादन मे बढ़ोत्तरी होती है।
उर्वरक: सामान्यत: एनपीके (नाइट्रोजन, फास्फोरस, और पोटाश) उर्वरक का उपयोग करें। फसल की वृद्धि के दौरान उर्वरकों का सही समय पर उपयोग महत्वपूर्ण होता है, इसलिए आप कृषि अधिकारियों से या सफल किसानों से इसकी सलाह अवश्य लें।
7. बुवाई कैसे करें ?
बीज दर: एक हेक्टेयर में लगभग 25-35 किलोग्राम बीज का उपयोग करें।
बीज बोने का तरीका : धान की खेती में मुख्यतः दो विधियां उपयोग की जाती हैं:-
- नर्सरी विधि: इस विधि में सबसे पहले बीजों को नर्सरी में रोपित किया जाता है, जिससे पहले हम पौध को तैयार करते हैं और फिर 25-30 दिन के पौधों को खेत में रोपित किया जाता है। इस विधि को ही अधिक उत्पादन के लिए सबसे अच्छा माना जाता है।
- डायरेक्ट सीडिंग: ट्रैक्टर की मदद से अन्य फसलों की तरह सीधे खेत में बीज बोएं।
8. सिंचाई
सिंचाई के लिए पानी का प्रबंध: धान की फसल के लिए लगातार पानी की आवश्यकता होती है। खेत में लगभग 5-10 सेंटीमीटर तक पानी को क्यारी बनाकर भरा रखें जिससे धान मे होने वाली पानी की कमी को पूरा किया जा सके।
- खरपतवार नियंत्रण: खरपतवारों की रोकथाम के लिए समय-समय पर खेत में निराई-गुड़ाई और कीटनाशकों को उपयोग अवश्य करते रहें।
- कीट और रोग: धान की फसल में विभिन्न प्रकार के कीट और रोग हो सकते हैं। पेस्टीसाइड्स और फंगिसाइड्स का उपयोग करें यदि समस्या गंभीर हो।
9. कटाई और थ्रेशिंग कैसे की जाती है?
- कटाई: धान की फसल आमतौर पर 3-4 महीनों में अच्छी तरह से पक जाती है। पकने पर धान की बालियों का रंग सुनहरा हो जाता है, धान को पकने के बाद आप विभिन्न तरीकों से धन की कटाई करा सकते हैं।
- थ्रेशिंग: कटाई के बाद धान को सुखाएं और फिर थ्रेशिंग करें। थ्रेशिंग के बाद बीजों को अच्छी तरह से साफ करें, जिससे फसल का निर्यात करते समय अच्छा दाम मिल सके।
धान की फसल को लंबे समय तक रखने के लिए सूखे और ठंडे स्थान पर संग्रहित करके रखें। बर्तन, बोरियों या अन्य कंटेनर का उपयोग करें ताकि धान की फसल सुरक्षित रहे और कीटों से बची रहे।
10. अन्य जानकारी
हमे हमेशा स्थानीय कृषि विशेषज्ञों, कृषि विभाग या कृषि विज्ञान केंद्र से सलाह लेते रहना चाहिए। वे आपकी स्थानीय परिस्थितियों और मिट्टी के आधार पर विस्तृत और सटीक सुझाव प्रदान कर सकते हैं।
इस प्रकार, धान की खेती के लिए सही तैयारी और देखभाल महत्वपूर्ण होती है, जिससे आपकी फसल स्वस्थ और उत्पादक बनी रहे।
इसी तरह अन्य महत्त्वपूर्ण कृषि जानकारी के लिए बने रहिए हमारे साथ